Ahoi Ashtami Vart: अहोई अष्टमी व्रत 17 अक्तूबर को, देखें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि
- By Habib --
- Friday, 14 Oct, 2022
Ahoi Ashtami Vart
Ahoi Ashtami Vart: अहोई अष्टमी साल का एक ऐसा त्योहार है जब एक मां अपनी संतान के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इसके साथ ही अहोई माता से कामना करती हैं कि उसकी संतान दीर्घायु होने के साथ-साथ भविष्य अच्छा हो। इस दिन अहोई माता के भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करने का विधान है।
अहोई अष्टमी मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 17 अक्टूबर 2022 को सुबह 09 बजकर 29 मिनट से शुरू हो रही है। इस तिथि का समापन 18 अक्टूबर 2022 को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर हो रहा है।
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त - शाम 05 बजकर 50 मिनट 07 बजकर 05 मिनट तक
अवधि - 01 घंटा 15 मिनट
तारों को देखने का समय- 17 अक्टूबर शाम 06 बजकर 13 मिनट
अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय समय - 17 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट पर
अहोई अष्टमी पारण का समय
अहोई अष्टमी की शाम को 6 बजकर 36 मिनट पर । वहीं अगर चंद्रमा देखकर पारण करना चाहती हैं, तो रात 11 बजकर 24 मिनट के बाद पारण कर सकती हैं।
अहोई अष्टमी पर बन रहा है खास संयोग
अभिजीत मुहूर्त- अहोई अष्टमी को दोपहर 12 बजे से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक
अमृत काल -18 अक्टूबर को सुबह 02 बजकर 31 मिनट से 04 बजकर 19 मिनट मिनट तक
शिव योग- 17 अक्टूबर को सुबह से लेकर शाम 04 बजकर 02 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- 17 अक्टूबर, सोमवार, सुबह 05 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 18 अक्टूबर, सोमवार सुबह 06 बजकर 32 मिनट तक
अहोई अष्टमी 2022 पूजा विधि
अहोई अष्टमी के दिन सुबह उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और निर्जला व्रत का पालन करें। इसके बाद उत्तर-पूर्व दिशा में एक चौकी का स्थापना तकें। इसके बाद चौकी में लाल या फिर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं। इसके बाद अहोई माता की तस्वीर स्थापित करें।
अब चौकी में तस्वीर के पास में गेहूं का एक ढेर बनाएं और उसमें एक कलश स्थापित करें। इसके बाद माता अहोई की पूजा आरंभ करें।
अहोई माता को फूल, माला, रोली, सिंदूर, अक्षत के साथ दूध और चावल से बना भात चढ़ाएं।
बा.ना के साथ 8 पूरी, 8 मालपुआ माता को चढ़ाएं। इसके बाद घी का दीपक और अगरबत्ती जला दें। अब हाथों में गेहूं और फूल लेकर अहोई माता व्रत कथा पढ़ें। कथा समाप्त होने के बाद गेहूं और फूल अर्पित कर दें।
शाम को तारों और चंद्रमा को देखकर अर्घ्य करें। इसके साथ ही हल्दी, कुमकुम, अक्षत, फूल और भोग लगाएं। इसके बाद बायाना अपनी सास या फिर घर के किसी बुजुर्ग सदस्य को दे दें।अंत में जल ग्रहण करने के साथ व्रत खोल लें।